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पीएम साहेब!कालरी के जिम्मेदार मेरी तबाही के कारण है

 

 

 

फटे हाल जीवन का पहिया चल रहा है

कंजारकर,तिर्की,और प्रभु ने छीन लिया परिवार का निवाला

नौकरी छीनकर ज्वाइनिंग के नाम पर 5 वर्ष से कर रहे टालमटोल

शहडोल।।अनूपुपुर

माइन्स प्रबन्धक अपनी जिम्मेवारी से किस हद तक लापरवाह हैं यह तो एक परिवार के तंग हाल से देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। पीड़ित परिवार सीएमडी आफिस से लेकर सांसद,कमिश्नर, कलेक्टर,जीएम,तक से गुहार लगा चुका है पर परिवार को राहत की सांस नही मिली। पीड़ित भूपत द्विवेदी और उसके परिवार 2018 से लेकर आज दिनांक तक एसईसीएल के चक्कर काट रहे हैं पर संतोषजनक जवाब किसी अधिकारी कर्मचारी के पास नही। हास्यपद लगता है कि भूपत द्विवेदी को कभी डिसमिस किया जाता है फिर ज्वाइनिंग दिया जाता है पुनः डिसमिस लेटर पकड़ा दिया जाता है।जबकि परिवार उच्च न्यायालय में वाद दायर भी किया है।माननीय न्यायालय ने अगली सुनवाई या किसी निर्णय तक आने से पहले माँमले में स्थगन आदेश दिया है किन्तु माननीय न्यायालय के फैसले को भी एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के वरिष्ठ अधिकारियों ने कचरे दान में फेंक रखा है। अब तो पीड़ित व्यक्ति के पत्नी और बेटी के लिए हमे पुष्यमित्र जी पंक्तियाँ याद आ गई कि “सुनो! द्रौपदी शस्त्र उठा लो अब गोविंद न आएंगे” न्याय की आस जब युद्ध स्तर पहुँच जाए तो निश्चित तौर पर शस्त्र उठता है।

अब मोदी जी से न्याय की आस

पीड़ित परिवार अब 27 जून को आ रहे पीएम मोदी से सम्बंधित बाबू,सब एरिया,मैनेजर,और जीएम की शिकायत करेंगे। पीड़ित की पत्नी ने बताया कि पिछले 5 वर्ष से वेतन भत्ता और गुजारा न मिलने पर जिन्दगी की गाड़ी बेपटरी दौड़ रही है। यानि किसी गाड़ी की धुरी भरभरा गई हो। ऐसे में देश के जननायक से ही कोई उम्मीद लगाई जा सकती है।
पीएम साहेब मुझे न्याय दें

भूपत द्विवेदी ने पीएम नरेंद्र मोदी से भी आस लगा रखा है और शिकायत पत्र में उल्लेख किया है कि भूपत द्विवेदी ने पत्र में लिखा है कि मैं भूपत द्विवेदी पिता स्व. सुन्दर लाल द्विवेदी राजनगर ओ.सी.एम. में हॉलपैक ऑपरेटर के पद पर पदस्थ हूँ। मेरा N.E.I.S. NO. 23681802 है। मुझे निमोनिया, सुगर, दमा व बी.पी. लो की गम्भीर बीमारी है में किसी कदर ड्यूटी कर के अपने ईलाज हेतु आमाखेरवा में गया किन्तु यहाँ ठीक से ईलाज न मिलने के कारण व रिफर न करने के कारण मेरी बीमारी बढ़ती गई और मुझे मजबूरी में निज निवास चन्दिया आना पड़ा मेरी ड्यूटी हॉलपैक ऑपरेटर की है किन्तु मुझसे कोयले की आग बुझाने का काम डरा-धमका कर कराया जाता था मेरी तबियत तभी से और जादा खराब होने लगी, किन्तु आज दिनांक तक न ही मेडिकल का पैसा नहीं दिया गया और न ही गुजार भत्ता ईलाज में मेरी पूरी सम्पत्ति बिक गई मेरे को मानसिक रूप से बहुत प्रताडित किया गया है। मैं दो बार बिलासपुर C.M.D. ऑफिस गया हूँ किन्तु वहाँ पर गार्डों के द्वारा रोक लिया गया जिसके कारण मैं C.M.D. साहब तक अपनी बात नहीं रख पाया राजनगर ओ.सी.एम. द्वारा मेरा डिसमिस लेटर 29/08/ 2020 को निकाला गया था, जिनकी जानकरी मुझे नही दी गई थी। इसी बीच 09/09/2020 को मेरा ट्रांसफर कुसमुन्डा कर दी गई, जिसकी जानकारी मुझे एक कर्मचारी द्वारा मेरे फोन पर बताया गया किन्तु उस समय मेरी तबीयत ज्यादा खराब थी जिसकी जानकारी मेरे द्वारा विभाग को दी जा चुकि थी इसके बाद भी मेरा स्थानान्तरण कर दिया गया था ईलाज कराकर लौटने के बाद मैं दिनांक 11/10/2021 को अपना ट्रांसफर को रुकवाने के लिए मैं बिलासपुर C.M.D. ऑफिस गया था ताकि मेरा ट्रॉसफर उमरिया जिले में हो सके तब मुझे वहाँ डिसमिस ऑडर का लेटर दिया गया और मुझे वहाँ से वापस कर दिया गया मैं 2018 से लगातार बिमारी की हालात से परेशान हूँ इसके बाद भी मुझे परेशान किया जा रहा है और मेरा मेडिकल बिल नहीं निकाला जा रहा है और कार्य में ज्वाइनिंग नहीं कराया जा रहा है।

सीएमहेल्पलाइन भी हो चुका है हेल्पलेस

जिस सीएमहेल्पलाइन को मुख्यमंत्री बड़े संजीदगी से आम लोगो की समस्या की राहत के लिए उपलब्ध कराया है उस हेल्पलाइन पर भी लोग गुमराह किए जाते हैं खासकर भूपत द्विवेदी और उसके परिवार के लोगों ने दर्जनों शिकायत सीएमहेल्पलाइन पर किया है पर एसईसीएल के जिम्मेदार हेल्पलाइन को भी हेल्पलेस कर दिया है।
पीड़ित परिवार ने बताया की हमारे द्वारा पूरे मामले की शिकायत सीएमहेल्पलाइन में भी की गई है जो आज तक बन्द नही हुआ है और उस शिकायत को कालरी के प्रबन्धक व अन्य जिम्मेदार झूँठ बोलकर माँमले से कन्नी काट लेते हैं ।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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