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स्कूल ड्रेस के कपड़े में अधिकारियों की मिलीभगत से हो रही है भ्रष्टाचारी

 

 

उमरिया ।। दीपक विश्वकर्मा की रिपोर्ट

शिक्षा के मंदिर में जहां सब को समान शिक्षा देने का अधिकार है इसके साथ ही सरकारी स्कूलों में तमाम मिलने वाली सुविधाएं भी सभी को बराबर मिलनी चाहिए जिसके लिए सरकार करोड़ों रुपए खर्च भी कर रही है मगर उमरिया जिले के नौनिहालों का दुर्भाग्य तो देखिए वर्ष भर में एक बार मिलने वाली स्कूल ड्रेस भी अधिकारियों की मेहरबानी से रद्दी जैसे कपड़ों में बनी मिल रही है यह बस कुछ देखने और सुनने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी मुंह पर ताला मारे बैठे हुए हैं।

मामला है उमरिया जिले का जहां सरकारी स्कूल में अध्ययनरत बच्चों को मिलने वाली ड्रेस के कपड़े में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है यहां सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वयं सहायता समूह को स्कूल ड्रेस सिलाई का काम मिला है जिसका कपड़ा स्वयं समूह को तय करना होता है मगर अधिकारियों ने संबंधित ठेकेदार से सांठगांठ कर बच्चों के ड्रेस में भी चूना लगा डाला मामले को लेकर शिकायत भी हुई लेकिन कार्रवाई करने बजाय प्रबंधक महोदय ने ठेकेदार को क्लीन चिट दे दी जबकि समूह के सदस्यों का कहना है कि करकेली जनपद में काम देख रहे मनीष श्रीवास्तव ने ठेकेदार से कपड़ा सप्लाई कराया है और हमको उसी ठेकेदार से कपड़ा लेना था जिस कपड़े का हमने स्कूल ड्रेस बनवाया है।

इनका कहना….

 

श्याम सेन समूह सदस्य

 

प्रेम बाई समूह सदस्य

स्कूल ड्रेस के कपड़े में हुए भ्रष्टाचार को लेकर जब जिले के प्रबंधक से बात की गई तो उन्होंने पूरा मामला ही पलट कर रख दिया और ठेकेदार को क्लीन चिट दे दी वहीं मीडिया को गलत जानकारी देने से बाज नहीं आए उन्होंने भ्रष्टाचार की बात ना कर समूह और महिलाओं की गिनती करने लगे।

 ‌‌प्रमोद कुमार शुक्ला प्रबंधक ग्रामीण आजीविका मिशन उमरिया

सरकार के द्वारा ऐसे कामों में पारदर्शिता लाने के लिए वह महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए ऐसे कार्यक्रम बनाकर की सही गुणवत्ता के साथ बच्चों को ड्रेस मिल सके लेकिन इस मामले में भी सरकारी दलाल ठेकेदारों से मिलकर अपनी जेब भरने में बाज नहीं आते।

अब देखना यह है कि खबर लगने के बाद जिले के उच्च अधिकारी इस पर क्या कार्यवाही करते है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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