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सांसद,विधायक की उपयोगिता शून्य,कालरी के जिम्मेदार बने धृतराष्ट्र

 

ऐसी सांसद किस काम की जो अपने जनता की हित न कर सके
पीड़ित पत्नी व बेटी के हेलो शब्द भी अब हकलाने लगे

कालरी के जिम्मेदार बने धृतराष्ट्र

बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिए कालरी के चंद नुमाइन्दे

गरीबी किसी के भी जीवन का एक ऐसा अभिशाप है जिस पर निबंध लेखन भी एक प्रकार का मजाक है । अब तो सरकार की प्रमुखता भी इस ओर अपाहिज प्रतीत हो रहा है। किंतु रोजगार होने के बाद किसी परिवार का रोजगार छीन लिया जाए तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उस परिवार की स्थिति क्या होगी। मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जनता की समस्या को अपनी पहली प्राथमिकता समझ कर उनके लिए सीएमहेल्पलाइन व जनसुनवाई जैसी वैकल्पिक व्यवस्थाएं की हैं किंतु उनके अधीनस्थ विधायक,सांसद इसे जमीन पर सार्थक कर पाने में बौने नजर आ रहे हैं।
सांसद सुनने को तैयार नही ,विधायक को कोई सरोकार नही, सीएमडी धृतराष्ट्र बना है और जीएम, सबएरिया बहरे, अंधे हैं। ऐसे में एक पीड़ित पत्नी और माँ न्याय की फरियाद भी करे तो किससे करे।सांसद को फोन लगाते लगाते अब तो हेलो भी हकलाने लगा है।मानो इन्हें वोट करना भी जनता के लिए एक नसीहत है।

शहडोल।।अनूपपुर

भूपत द्विवेदी ने अपने पत्र में सांसद को लिखा है कि मैं भूपत द्विवेदी पिता स्व. सुन्दर लाल द्विवेदी राजनगर ओ.सी.एम. में हॉलपैक ऑपरेटर के पद पर पदस्थ हूँ। मेरा N.E.I.S. NO. 23681802 है। मुझे निमोनिया, सुगर, दमा व बी.पी. लो की गम्भीर बीमारी है में किसी कदर ड्यूटी कर के अपने ईलाज हेतु आमाखेरवा में गया किन्तु यहाँ ठीक से ईलाज न मिलने के कारण व रिफर न करने के कारण मेरी बीमारी बढ़ती गई और मुझे मजबूरी में निज निवास चन्दिया आना पड़ा मेरी ड्यूटी हॉलपैक ऑपरेटर की है किन्तु मुझसे कोयले की आग बुझाने का काम डरा-धमका कर कराया जाता था मेरी तबियत तभी से और जादा खराब होने लगी, किन्तु आज दिनांक तक न ही मेडिकल का पैसा नहीं दिया गया और न ही गुजार भत्ता ईलाज में मेरी पूरी सम्पत्ति बिक गई मेरे को मानसिक रूप से बहुत प्रताडित किया गया है।

सीएमडी कार्यालय से भी नही मिली राहत,बाँकियो ने गाँधारी की पट्टी बांध रखी है

भूपत द्विवेदी ने बताया कि मैं दो बार बिलासपुर C.M.D. ऑफिस गया हूँ किन्तु वहाँ पर गार्डों के द्वारा रोक लिया गया जिसके कारण मैं C.M.D. साहब तक अपनी बात नहीं रख पाया राजनगर ओ.सी.एम. द्वारा मेरा डिसमिस लेटर 29/08/ 2020 को निकाला गया था, जिनकी जानकरी मुझे नही दी गई थी। इसी बीच 09/09/2020 को मेरा ट्रांसफर कुसमुन्डा कर जिसकी जानकारी मुझे एक कर्मचारी द्वारा मेरे फोन पर बताया गया किन्तु उस समय मेरी तबीयत ज्यादा खराब थी जिसकी जानकारी मेरे द्वारा विभाग को दी जा चुकि थी इसके बाद भी मेरा स्थानान्तरण कर दिया गया था ईलाज कराकर लौटने के बाद मैं दिनांक 11/10/2021 को अपना ट्रांसफर को रुकवाने के लिए मैं बिलासपुर C.M.D. ऑफिस गया था ताकि मेरा ट्रॉसफर उमरिया जिले में हो सके तब मुझे वहाँ डिसमिस ऑडर का लेटर दिया गया और मुझे वहाँ से वापस कर दिया गया मैं 2018 से लगातार बिमारी की हालात से परेशान हूँ इसके बाद भी मुझे परेशान किया जा रहा है और मेरा मेडिकल बिल नहीं निकाला जा रहा है और कार्य में ज्वाइनिंग नहीं कराया जा रहा है।

चमड़ी ऐसी मोटी की सुई भी न गड़े

कालरी के धृतराष्ट्रों से भूपत की पत्नी ,पति के लिए नौकरी में ज्वाइनिंग माँगते-माँगते थक गई पर इन जिम्मेदारों ने धृतराष्ट्र की तरह व्यवहार कर रहे हैं यानि सब कुछ जानते हुए भी आँखों के आगे पूरे कुरुक्षेत्र की चर्चा संजय से करा रहे हैं। अब तो ऐसा लगने लगा है कि इनकी चमड़ी इतनी मोटी हो चुकी हैं कि इन्हें सुई गोदने पर भी आभास नही होगा।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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