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खुद के वजूद को तलाशता यह ग्राम पंचायत, मुख्यमार्ग में हिचकोले खाते आम राहगीर

आज तक नही बना ग्राम पंचायत की पहचान,नही मिला स्वागत द्वार

विनय मिश्रा…..

भाजपा सरकार ने म.प्र में सड़क,जल,बिजली मुहैया कराने में जरा भी कोताही नही बरती है। आज नगर से लेकर गाँव मे सरकार तमाम जमीनी बुनियाद की नींव रखी है जिससे हर इंसान लाभान्वित हो रहा है। किन्तु जिले के तीन विधायक के क्षेत्रों में आज भी ऐसे दर्जनों ग्राम पंचायत हैं जहाँ बुनियादी सुविधाओं का ढाँचा डोल रहा है।

शहडोल।।सरईकापा

वैसे तो सोहागपुर जनपद क्षेत्र में 77-78 ग्राम पंचायत हैं इस पंचायत की गिनती में शायद ऊंच-नीच हो सकती है किंतु इन पंचायतों में कई ऐसे ग्राम हैं जहाँ भाजपा सरकार की योजनाएं कागजो में सीमित हैं। हम उन पंचायतों की कमियाँ गिनना शुरू करें तो शायद जोड़-घटाना और गुणा भाग की आवश्यकता पड़ जाए।

फिलहाल 2000 से ऊपर मतदाताओं वाले ग्राम सरईकापा की बात करें तो इस पंचायत में आज भी दर्जनों विकास के सोपान अधूरे हैं। सड़क,बिजली ,पानी अगर इन तीन मूलभूत सुविधाओं पर ही नजर डाल लें तो जमीनी दावों की पोल खुल जाएगी।

चलिए पहले यहाँ की सड़कों पर एक नजर डाल लें।

हम गांव के अंदर की सड़क पर अगर नजर डालें तो शायद हर वार्डो की स्थिति का अवलोकन स्वयं हो जाएगा,किन्तु ग्राम में प्रवेश करने वाली मुख्यमार्ग ही क्षतिग्रस्त हो और उसमें गड्ढों और इन्डुलेशन बने हों तो अन्य सड़को की चर्चा का क्या औचित्य।

दो मुहल्लों समेत नगरपंचायत को जोड़ती है यह मुख्यमार्ग…

ग्राम पंचायत का यह मुख्यमार्ग थोड़ी दूर जाकर आगे दो भागों में बंट जाता है एक का रास्ता मुहल्ले समेत पूरे गाँव मे प्रवेश करती है तो दूसरे का एक मुहल्ले होकर धनपुरी नगरपालिका की ओर जाती है। पिछले पंद्रह वर्षों में यहां भाजपा सरकार काबिज थी 2000 से ऊपर इस ग्राम के 60 फीसदी मतदाता भाजपा को मतदान करते हैं किंतु यह विडम्बना कहें या अभिशाप कि इस ग्राम को आज तक विकास और शहर के मुख्यधारा से नही जोड़ा गया।

ग्राम पंचायत के इर्दगिर्द नगरपालिका और नगरपरिषद कि दूरी महज 2-3किमी है पर इसे शहरीकरण करने में कुछ अवरोधक तत्व आज भी विकास के आड़े आ रहे हैं।

विकास की योजनाओं में कमीशन खोरी और धांधलेबाजी का जुगाड़ पहले ढूढा जाता है।फिर शेष राशि में विकास के पचड़े भरे जाते हैं।

खैर हमने सोंचा की स्थानीय प्रतिनधियों की कुछ कमियाँ महज एक ग्राम पंचायत में ही गिना दें बाँकियो में तो कैलकुलेटर की आवश्यकता पड़ सकती है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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