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अगर आप नही गए “जटाशंकर” तो आप इस रहस्य को नही जान पाएँगे

अगर आप नही गए “जटाशंकर” तो आप इस रहस्य को नही जान पाएँगे
छ्ग।।मनेंद्रगढ़

गर्न्थो और शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ब्रह्माण्ड के कोने कोने में अपना स्थान बनाए हुए हैं हिमालय से लेकर कैलाश तक इनके अलग अलग तीर्थ स्थलों में अलग-अलग नाम हैं ऐसा ही एक मंदिर और दार्शनिक स्थल छ्ग में है जहाँ भगवान शिव आकर कमंडल रखते हैं और खाली कमण्डल दूध से भर जाता है।मनेंद्रगढ़ से 30 किलोमीटर दूर जटाशंकर धाम भगवान शिव को समर्पित है. पहाड़ी के ऊपर स्थित यह स्थान अपने प्राकृतिक शिवलिंग, गुफाओं, झरनों और घने जंगलों के कारण श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. यहाँ के लोगो कहना है कि भगवान शिव ने यहां अपनी जटाओं से बहती जलधारा उत्पन्न की थी, जिससे इस स्थान का नाम “जटा शंकर” पड़ा
धाम का ऐतिहासिक महत्व कोरिया के राजा रामानुज सिंह देव से जुड़ा है. लोककथाओं के अनुसार, राजा भगवान शिव के भक्त थे. एक बार उन्हें स्वप्न में भगवान शिव ने दर्शन दिए और इस स्थान पर एक अद्वितीय शिवलिंग होने का संकेत दिया. राजा ने इस स्वप्न को अपने गुरुओं के साथ साझा किया और उनके मार्गदर्शन में इस स्थान की खोज शुरू की.
खोज के दौरान, घने जंगलों में एक प्राकृतिक शिवलिंग मिला. इसे देखकर राजा और उनके दरबारियों ने इसे भगवान शिव का दिव्य चमत्कार माना, उन्होंने यहां एक मंदिर का निर्माण करवाया और इस स्थान को “जटाशंकर धाम” के रूप में प्रसिद्धि दिलाई.
माना जाता है कि भगवान शिव यहां आकर अपना कमंडल रख देते थे. उसमें अपने आप दूध भर जाता था, फिर उसे वह अपने साथ लेकर चले जाते था उनसे जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मैं जटाशंकर. अंदर शिव का जटा बंधी है, जिसमें से पानी की एक पतली धार निकलती रहती है. जटाशंकर की जलधाना को पानी पीने बाघ पहुंचते हैं. इस बात के प्रमाण यहाँ बने बाघ के पैरों के निशान से पता चलता है.
जटाशंकर धाम मनेंद्रगढ़ से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है. स्थानीय प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उचित व्यवस्था की है.हर वर्ष महाशिवरात्रि पर मेला लगाता है जहाँ लाखों के तादाद में श्रद्धालु पहुँचकर भगवान शिव का दर्शन करते हैं।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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