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सूचना अधिकार अधिनियम की उड़ाई जा रही धज्जियां नहीं दे रहे समय पर जानकारी

सूचना अधिकार अधिनियम की उड़ाई जा रही धज्जियां नहीं दे रहे समय पर जानकारी

प्रथम अपीली अधिकारी के आदेश हुए निराधार नहीं मिली समय पर जानकारी

अनूपपुर।।
सूचना अधिकार अधिनियम अक्टूबर 2005 को लागू किया गया था जो भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ा हथियार माना जाता रहा है इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी विभाग से जानकारी प्राप्त कर सकता है लेकिन औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र बेनिवारी एवं औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र कोतमा प्राचार्य के द्वारा उक्त अधिनियम की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

गौरतलब है कि औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र बेनिवारी के प्राचार्य और कोतमा औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र के प्राचार्य से ज्ञानेंद्र पांडे ने उक्त अधिनियम के तहत जानकारी चाही थी लेकिन नियमतह दिवस पूर्ण होने के बाद जब जानकारी नहीं दी गई तो आवेदक करता ने संयुक्त संचालक कार्यालय के अधिकारी को सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 19(1) के अंतर्गत अपील की जिस पर संयुक्त संचालक के द्वारा 15 अक्टूबर 2024 को प्रथम अपील की सुनवाई के लिए रीवा कार्यालय बुलाया गया लेकिन जब अपील करता दिए गए समय के अनुसार कार्यालय में उपस्थित हुआ तो कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी के द्वारा बताया गया कि अपील की सुनवाई की दिनांक 15 की जगह 22 अक्टूबर कर दी गई है जिस पर 200 किलोमीटर दूर जाने के बावजूद अपीली करता को फिर से वापस आना पड़ा लेकिन दिए गए दिनांक 22 अक्टूबर को पुनः अपील कर्ता अनूपपुर जिले से रीवा कार्यालय में जाकर सुनवाई में उपस्थित हुआ विभाग के मुखिया संयुक्त संचालक रीवा के द्वारा आवेदक करता के आवेदन को पढ़ाते हुए सारी जानकारी देने योग्य पाई गई जिस पर बेनिवारी प्राचार्य को सात दिवस के भीतर सारी जानकारी अपीली करता को देने के आदेश दिए और वही कोतमा आईटीआई से संबंधित जानकारी भी देने के लिए आदेशित किया गया लेकिन समय बीत जाने के बावजूद उक्त दोनों प्राचार्य के द्वारा आज दिनांक तक कोई भी जानकारी नहीं दी गई है जो कहीं ना कहीं सूचना अधिकार अधिनियम का खुला उल्लंघन कर मनमर्जी पर उतारू होने का प्रमाण दे रहे हैं जिस पर ना तो विभाग के द्वारा कोई दंडात्मक कार्यवाही की जा रही है जिससे उनके द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को और राशि के दोहन की जानकारी छुपाई जा रही है अगर समय रहते वह दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं तो उनके द्वारा किए गए बड़े पैमाने में भ्रष्टाचार को उजागर किया जा सकता है लेकिन एक प्राचार्य अधिनियम तो अधिनियम अपने मुखिया के आदेशों की भी खुली धज्जियां उड़ा रहा है यह कहीं ना कहीं विभाग के मुखिया पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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