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सोनोग्राफी के नाम पर पूरे जिले में लूट…

 

 

●कब मिलेगी इस जिले को बीमारू स्वास्थ्य व्यवस्था से मुक्ति..??

●सोनोग्राफी की सुविधाएँ होने के बाद लुट रहे गरीब तबके के लोग..

●निजी संस्थानों में जा रही गरीबो की गाढ़ी कमाई ..

शहडोल।।

कहने को शहडोल जिले की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को देखते हुए मप्र सरकार ने मेडिकल कालेज जैसी व्यवस्था मुहैया कराई ताकि हर आदमी की पहुँच इस बड़ी मेडिकल व्यवस्था तक आसानी से हो और उन्हें हर तकलीफ से निजात मिल जाए किन्तु सरकार की तमाम स्वास्थ्य सुविधाएँ होने के बाद भी आम आदमी और रोजमर्रा कमाने वाले मरीजों को भी विवश होकर निजी संस्थानो का मुह झांकना पड़ता है।

जिले के जिला चिकित्सालय से लेकर मेडिकल कालेजों में सोनोग्राफी के बड़े इक्वीपमेंट हैं किंतु इस बीमार पड़े मशीनों या लेटलतीफी के कारण हर मरीज निजी रेडियोलॉजिस्ट के चक्कर लगाता हैं जहाँ जाँच होने वाले अंगों का कोई निर्धारित फीस नही होताऔर उन्हें मनचाहा फीस लेकर जाँच की पुड़िया पकड़ाई जाती है।

जिला चिकित्सलाय के सोनोग्राफी मशीन पर सवाल..?

शहडोल जिले के कुशाभाऊ ठाकरे सरकारी जिला अस्पताल में मौजूद सोनोग्राफी और वहाँ की व्यवस्था इस कदर बदहाल है कि मरीजों को सोनोग्राफी की जांच के लिए एक लम्बे कतार से गुजरना पड़ता है या काफी दिनों तक जाँच रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ता है।
सोनोग्राफी टेस्ट के लिए मरीजों को हफ़्तों इंतेजार करने के कारण मजबूरीवश मरीज निजी सोनोग्राफी सेंटरो में जाते हैं जिससे उनके दिनचर्या कमाई का नुकसान तो होता ही है बल्कि निजी संस्थानों का अपना कोई निश्चित फीस न निर्धारण होने के कारण अच्छा-खासा लुटाई भी होता है।
सूत्रों की मानें तो जिला अस्पताल में एक ही रेडियोलॉजिस्ट होने के कारण दिन भर में एक निश्चित मरीज संख्या की ही जांच हो पाती है जिसके चलते सोनोग्राफी सेंटर में मरीज महीनों इंतजार करते है।

आदिवासी बाहुल्य इस जिले में कैसे हो स्वास्थ्य की भरपाई…

शहडोल जिला ही नही अपितु सम्भाग मुख्यालय होने के कारण यहाँ अन्य जिलों से मरीजों का आना जाना बना रहता है। खासकर आदिवासी बाहुल्य इस जिले में ग्रामीण इलाकों और आदिवासी अंचल के मरीज बहुतायत है दूर-दराज होने के चलते उन्हें दोबारा यहाँ आने में न सिर्फ शारीरिक मशक्कत करना पड़ता है बल्कि इस लेटलतीफी के कारण विवश होकर निजी सोनोग्राफी दुकानों में अपनी क्षमता से ज्यादा रुपये देकर जाँच कराना पड़ता हैं ।
यह विडम्बना है इस जिले की लगातार प्रदेश में तीन दशक सत्ता होने के बाद भी ऐसी विसंगतियों को दूर नहीं किया जा सका जिसकी मार गरीब तबके से लेकर एक बड़ा आदिवासी समुदाय झेल रहा है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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