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अपने खामियों को छिपाने के लिए आए दिन भाजपा कर रही रोड शो और प्रेस कांफ्रेंस अभी से दिख रहा चुनावी बौखलाहट

गरीब कल्याणकारी योजनाओं पर प्रेस वार्ता

खाट पर लेटी प्रसूति, मा की शव को 15 अगस्त के दिन ठेले पर ले जाता पुत्र, पुत्र के शव को कन्धे पर ले जाता गरीब पिता..

फिर भी हम गर्व करें कि हमने प्रदेश और जिले से गरीबी हटा दिया है…

बीते कुछ महीनों से चुनावी सुनामी इस कदर लहर मार रही हैं कि उस लहर में पीएम से लेकर सीएम भी तैर रहे हैं। कर्नाटक और हिमांचल की जीत ने केंद्र की सियासत में खलबली मचा दी है तो वहीं मप्र में भाजपा के जीत का रिकार्ड बीते विधानसभा चुनाव में ही टूट चुका है। ऐसे में विधानसभा का वर्ल्ड कप किसी 50-50 मैच से कम नही यानी यह कह पाना अभी मुश्किल है कि जीत किस पाले में जाएगा। भाजपा पूरी तरह से डैमेज कंटोल पर जुटी है इस डैमेज कंट्रोल को पूर्ण करने के लिए स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी को आना पड़ा ये और बात है कि वो अपने घण्टो चले प्रोग्राम में सिवाय भाषणों के कुछ नही दे पाए। पीएम मोदी जिस पकरिया में भोजन कर के गए अगर वहां जमीनी पड़ताल करें तो वहाँ के आदिवासी समुदाय के साँथ साँथ अन्य वर्गों की स्थिति धरातल पर क्या है यह ज्ञात हो जाएगा। हम अपने इस रिपोर्ट पीएम में मोदी के प्रोग्राम में आए खर्च को बताने में अक्षम है किंतु यह खर्च शहडोल जिले की विकास के लिए प्रयोग होता तो शहडोल की दशा कुछ और होती। माह भर ही हुए की एक नया खर्चा, इस बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह रोड शो करने आ गए । हम इस खर्चे को भी बताने में असमर्थ हैं हो सकता है इस खर्च का जिम्मा पार्टी के नेता और शासन प्रशासन के पर हो  पर यह व्यर्थ खर्चा तो आम आमजनता की जेब से ही हो रहे हैं।

विनय मिश्रा की रिपोर्ट….

शहडोल।।

बीते दिनों में जिले में जैतपुर विधानसभा की विधायिका, शहडोल विधानसभा विधायक और जिलाध्यक्ष ने एक प्रेस कांफ्रेंस करते हुए सरकार की तमाम कल्याणकारी योजनाओं को गिनाया खासकर गरीबों के लिए किए गए कल्याणकारी योजना शामिल थे। हम देश प्रदेश की गरीबी प्रतिशत पर नजर डालें तो भारत में बहुआयामी गरीबों की संख्या, जो वर्ष 2015-16 के सर्वेक्षण के समय 24.85 प्रतिशत थी, वह वर्ष 2019-2021 में घटकर 14.96 प्रतिशत रह गई है। इस तरह 9.89 प्रतिशत अंकों की सकारात्मक गिरावट देखी गई। देश में शहरी क्षेत्रों में गरीबी 8.65 प्रतिशत से गिरकर 5.27 प्रतिशत रह गई और ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 32.59 प्रतिशत से घटकर 19.28 प्रतिशत रह गई।

नीति आयोग के राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक – ‘एक प्रगति सम्बन्धी समीक्षा 2023 के अनुसार विगत पाँच वर्षों यानि वर्ष 2015-16 से वर्ष 2019-21 की अवधि के दौरान देश में रिकार्ड 13.50 करोड़ लोग और मध्यप्रदेश में 1 करोड़ 36 लाख लोग गरीबी से मुक्त हुए हैं।

जब आंकड़े में गरीबी और गरीबी दर की कमी आई है तो चुनाव का इतना भय क्यों?

माहवार प्रदर्शन और रोड शो की आवश्यकता क्यों?? यानि यह मान लिया जाए कि केंद्र और प्रदेश स्तर के नेताओं ने उच्च स्तरीय मेहनत तो की है किंतु स्थानीय सांसद, विधायक ने उनकी मंशा को धराशायी किया है।

खैर आपको बता दें कि गरीब और गरीबी दर

राष्ट्रीय एमपीआई द्वारा जीवन स्तर निर्धारण के लिए लिए 12 प्रमुख संकेतक हैं – पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, मातृ स्वास्थ्य, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, रसोई गैस, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, परिसंपत्ति और बैंक खाते जैसे बुनियादी पहल जिनका अध्ययन कर सामान्य जनमानस को प्राप्त-अप्राप्त सुविधाओं के आधार पर इस सर्वेक्षण में जीवन स्तर और गरीबी को मापा जाता है।

जिसे स्थानीय सांसद, विधायक और नेताओं ने ध्यान दिया होता तो ये रोजाना रोड शो और जुमले की आवश्यकता नही होती खैर सौगात में शहडोल को नगर निगम मिले न मिले पर एयरपोर्ट आज कई वर्षों से चुनावी तकियाकलाम है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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