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एक लम्बे अरसे के बाद सांसद आई

 

जब बजने लगी चुनावी शहनाई
शहडोल सम्भाग।।
विनय मिश्रा…

आप-हम ग्राम स्तर के चुनाव से लेकर सरकार बनाने की कड़ी में एक ऐसे जनप्रतिनिधि का चयन करते हैं जिसका जवाबदेही हर उस आम व्यक्ति के लिए हो जिस आम व्यक्ति ने अपने मत का प्रयोग करके उस जनप्रतिनिधि को लोकतंत्र में एक ओहदा दिया।
शहडोल जिले में विकास और नेताओं की बात हो तो मोदी का मुँह दिखाकर यहाँ के जनप्रतिनिधि वोट माँगते हैं यानी इनका अपना खुद का कमाया हुआ व्यक्तित्व ‘राई में सुई ढूढंने जैसा है’ सांसद हो या विधायक सबने नेताओं के इस तमगे को एक धन कमाऊ गाय बनाया है जो दूध देते वक्त तो बड़ी प्रिय होती है किंतु जैसे ही वह गाय दूध छुड़ा देती है उसे सड़को पर आवारा छोड़ दिया जाता है, अब इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण पूर्व मुख्यमंत्री से ही ले सकते हैं।
अब बात कर रहे हैं अपने संसदीय क्षेत्र की सांसद हिमाद्री सिंह की; जिनके राजनैतिक करियर के विषय मे लिखा जाए तो शायद पूरे पन्ने कोरे ही रह जाएँगे। पिछले पाँच वर्षों से जनता के बीच एक निष्क्रिय रही इस नेत्री को भाजपा ने एक बार पुनः टिकट दिया है पर पीछे के बैकग्राउंड में एक तगड़ा फीडबैक ये भी है कि अगर भाजपा फ्लो में न होती और मोदी देश के पीएम नही होते तो शायद इन्हें अपने हर मतदाता को घर-घर जाकर अपना पहचान बताना पड़ता और राजनीति में जनता के वोट पाने के भी लाले पड़ते।
वैसे हमारी लेखन या खबर में शायद कोई त्रुटि हो,पर पिछले पाँच वर्षों में शहडोल संसदीय क्षेत्र के मतदाता सांसद हिमाद्री सिंह का चेहरा देखने को तरस गए काम की बात तो दूर हिमाद्री पूर्व लोकसभा चुनाव जीतने के बाद एक लम्बे अरसे तक आम जनमानस की पहुँच से काफी दूर रही मानो ‘पृथ्वी और आकाश’
हाँ जैसे ही लोकसभा चुनाव का ऐलान हुआ फिर ढोल नगाड़े बजने लगे कि और तरह-तरह के अल्फाजों से इनकी संज्ञा दी जाने लगी जैसे लोकप्रिय सांसद,कर्मठ,जुझारू आदि-आदि…
हमारे बीच रह रहे मतदाता बताते हैं कि हमने पिछले पाँच वर्षों में सांसद हिमाद्री सिंह की ऐसी कोई विशेष उपलब्धि तो नही देखी पर हालिया लोकसभा चुनाव को देखते हुए और उसे सांसद के पुराने मेनिफेस्टो में जोड़ते हुए पासपोर्ट कार्यालय और शहडोल-नागपुर ट्रेन का भद्द जरूर पीटा जा रहा है जो शायद आम जनमानस से वोट माँगने और उनके जहन में एक छवि बनाने के लिए किसी चुनावी जुमला से कम नही है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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