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गरफंदिया शा. खसरा नं. 323 से जल्द हटेगा अनिल द्विवेदी का अवैध कब्जा

 

( तहसीलदार ने किया मौका निरीक्षण, नोटिस की प्रक्रिया लगभग पूरी)

धनपुरी ।।
शहडोल के बुढ़ार तहसील अंतर्गत बेम्हौरी हल्का के राजस्व ग्राम गरफंदिया शासकीय खसरा नंबर 323 (रकबा 0.0450 हेक्टेयर) में अवैध कब्जा का मामला सिर्फ तहसील प्रशासन ही नहीं जिले के पूरे राजस्व विभाग के आंख की किरकिरी बन चुका है, ज्ञात हो कि राजस्व ग्राम गरफंदिया में मुख्यमार्ग से लगे शासकीय खसरा नंबर 323 (रकबा 0.0450 हेक्टेयर) और खसरा नंबर 320 (रकबा 0.0490 हेक्टेयर) में बीते दो साल से लगातार अवैध कब्जा बढ़ाया जा रहा है। आज भी सरकारी दस्तावेजों में उक्त शासकीय जमीन ‘राजस्व वन’ भूमि के नाम पर दर्ज है, व्याप्त अवैध कब्जे के संबंध में तात्कालिक बुढ़ार तहसीलदार ने जांच कराई जिसमे उक्त शासकीय खसरा में अवैध कब्जा पाया गया, जिस पर तहसीलदार ने दिनांक 05/12/2022 को बेदखली का आदेश जारी किया “राजस्व प्रकरण क्रमांक 0007468/2022-23 (मध्यप्रदेश शासन जरिए पटवारी हलका बेम्हौरी बनाम अनिल कुमार द्विवेदी पिता स्व. गणेश प्रसाद द्विवेदी)” जिसमें ₹5000 का अर्थदण्ड लगाते हुए एक सप्ताह में अवैध कब्जा हटाने के आदेश दिए गए, आदेश जारी होने के डेढ़ साल वाद भी अवैध कब्जा लगातार जारी रहा, यानी तहसीलदार के आदेश की सरेआम धज्जियां उड़ाई जाती रहीं, लेकिन ग्रामीणों ने बताया कि बेदखली आदेश के बाद भी अनावेदक आसपास के किसानों के सामने अकड़ दिखाना बंद नहीं किया, नौवत यहां तक आ गई कि विवाद को टालते हुए आसपास के किसानों ने अपने निज खसरे में खेती करनी छोड़ दी, तब अनावेदक का दुस्साहस आसमान छूने लगा, लेकिन अब ज्यादा दिन नहीं।

पुरानी फाइल ने खोला राज

ज्ञात हो कि उक्त शासकीय खसरे मे जब अवैध कब्जे के तौर पर अनावेदक ने छुटपुट गतिविधियां शुरू करी थीं तब भी आदिवासियों के आवेदन पर अवैध कब्जा हटाने/तोड़ने के लिए बुलडोजर आदि मौके पर आ गएं थें लेकिन आदिवासियों ने ही दया दिखाते हुए अधिकारियों से इस आशय की अपील करी कि कुछ सप्ताह में अनावेदक स्वयं ही अपना बोरिया बिस्तर (अवैध कब्जा) यहां से हटा लेगा, घर मत तोड़िए, जिसके बाद मौके पर उपस्थित अधिकारियों ने अनावेदक को कुछ सप्ताह का समय देते हुए पटवारी आदि को कहा कि अनावेदक से जल्द ही कब्जा हटवा के रिपोर्ट फाइल करिए। इसके बाद अनावेदक कुछ दिन सिकुड़ा रहा लेकिन नीचे के तात्कालिक अधिकारियों कथित तौर पर सेटिंग जमा के मामला ठंडे बस्ते में डाल दी गई। आसपास के भोले-भाले आदिवासियों को भी बरगला के या बहला के चुप करा दिया गया, इस कूटरचना से पूरा मामल स्थिल पड़ गया था इसीलिए अनावेदक का होंसला दिनों-दिन बुलंद हो रहा है। फिलहाल कई ग्रामीणों को इस आशय की धमकी-घुड़की भी मिलना जारी है कि आदिवासियों महिलाओं से एसटी एक्ट के तहत शिकायत दर्ज करा देंगे, मार-पीट करेंगे।

 

डिंगे हांकने से नहीं बचेगा अवैध कब्जा

लेकिन बीते दिनों मामला प्रकाश में आने के बाद अनावेदक और उसके ‘मुफ्त के संरक्षक’ दो-चार दिन यह कहते हुए फिरते रहें का इनका अवैध है ही नहीं जब जांच में अनावेदक का लगभग पूरा मकान शासकीय खसरे में बना हुआ पाया गया तो, होस ठिकाने आ गएं, अब कहते फिर रहा कि मुझे बीते 2019 में उक्त शासकीय जमीन का पट्टा मिल गया है, जब ग्रामीणों ने अनावेदक के संरक्षकों की यह डींग में भी रुची नहीं दिखाई तो अब बोला जा रहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में कभी अवैध कब्जा नहीं टूटता है, तहसीलदार के बाबू से सेटिंग बना के बैक डेट में जुर्माना राशि जमा कर दिया गया है, जिबकी यह सब सिर्फ और सिर्फ डींग है, क्योंकि मामला हाईप्रोफाइल है, शासकीय कर्मचारी-अधिकारी भी समझ गए हैं कि जो साथ देगा कार्रवाई दौरान वो भी नापा जा सकता है।

भोले-भाले आदिवासियों को बनाया ढ़ाल

जो आदिवासी पिछली बार दया देख के अनावेदक का घर फूटने से बचा लिए थें आज उन्हीं भोले-भाले अनपढ़ आदिवासियों को बहला-फुसला के शासकीय खसरे में बने माकान को आगे बढ़ाते हुए बड़ा सा पोर्च बना के ‘शासकीय रास्ता’ बंद कर के रास्ते को बगल के निजी खसरा नं. 381 में डायवर्ट कर दिया गया यह सब इतनी कूटरचित तरीके से किया गया कि वहां के आदिवासियों को पता ही नही चला कि अनावेदक उन्हे बहला के उनका निकासी रास्ता बंद कर रहा है, जोकि आज भी इसी भ्रम हैं। अब आदिवासियों को निजी खसरा नंबर 381 में रास्ता बता के विवाद की स्थितियां बनाई जा रही हैं। भोले-भाले आदिवासियों ने यदि समय रहते दस्तावेजों का निरीक्षण किया या कराया होता तो अनावेदक का यह अवैध कब्जा इतना बड़ा नासूर ही नहीं बनता।
अवैध कब्जा के दौरान शासकीय खसरा नंबर 323 और निजी खसरा नंबर 381 के बीच एक दशकों पुराना आम का पेड़ लगा है, ग्रामीणों ने बताया कि अवैध कब्जा करने के दौरान अनावेदक ने आम के पेड़ के नीचे गड्ढा कर के करीब 10 किलो चूना डाल दिया था, ताकि आम का पेड़ सूख जाए और बगल के किसानों और आदिवासी रहवासियों को सीमा भ्रम होता रहे।

इनका कहना है

मौका निरीक्षण के दौरान अवैध कब्जा यथावत पाया गया है, आर आई और हलका पटवारी को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।

याचिका परतेती
(नायव तहसीलदार बुढ़ार)

आदेशानुसार हमने मौके का निरीक्षण किया जिसमें अवैध कब्जा पाया गया है, हमने जांच रिपोर्ट भेज दिया है।

जीवन बघेल
(राजस्व निरीक्षक बुढ़ार)

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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