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तो कोविड शील्ड के कारण हो रहे हार्ट अटैक से मौतें,जानें क्या है भारत मे बढ़ते हार्ट अटैक के कारण

 

डेस्क ….दिव्यकीर्ति

कोविड-19 रोधी वैक्‍सीन ‘कोविशील्‍ड’ बनाने वाली कंपनी एस्‍ट्राजेनेका ने खुद स्‍वीकार कर लिया है कि इसे लेने वाले लोगों में रेयर साइड इफेक्‍ट होने के चांसेस हैं. द टेलीग्राफ (यूके) की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश फार्मा दिग्गज एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उसकी कोविड वैक्सीन के थोड़े बहुत साइड इफेक्‍ट हो सकते हैं. वैक्सीन निर्माता ने अदालती दस्तावेज़ों में कहा है कि कोविशील्ड, दुर्लभ मामलों में एक ऐसी स्थिति का कारण बन सकती है, जिससे ब्लड के थक्के जम सकते हैं और प्लेटलेट की संख्या कम हो सकती है.
महामारी के दौरान एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोविशील्ड का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया गया था और देश में व्यापक रूप से इसे लोगों को दिया गया था. एस्ट्राजेनेका को ब्रिटेन में इस दावे को लेकर कई मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है कि उसके टीके के कारण कई मामलों में मौतें हुईं और गंभीर चोटें आईं. यूके हाई कोर्ट में 51 मामलों में पीड़ित 100 मिलियन पाउंड तक के हर्जाने की मांग कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो मामले के पहले शिकायतकर्ता जेमी स्कॉट ने आरोप लगाया था कि उन्हें अप्रैल 2021 में वैक्‍सीन लगाई गई थी, जिससे ब्‍लड क्‍लॉटिंग के बाद उनके मस्तिष्क में स्थायी चोट लग गई. उन्होंने दावा किया कि इससे उन्हें काम करने में काफी दिक्‍कत होती है… अस्पताल ने उनकी पत्नी को तीन बार यहां तक ​​कहा कि वह मरने वाले हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि एस्ट्राज़ेनेका ने दावों का विरोध किया है, लेकिन फरवरी में एक अदालती दस्तावेज़ में स्वीकार किया कि कोविशील्ड “बहुत ही दुर्लभ मामलों में, टीटीएस का कारण बन सकता है.” टीटीएस (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस) मनुष्यों में रक्त के थक्के और कम रक्त प्लेटलेट संख्‍या का कारण बनता है।

भारत मे इसकी इंट्री और निर्माण….

पुणे स्थित फार्मा कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भारत और कुछ दूसरे गरीब देशों के लिए कोविशील्ड वैक्सीन के निर्माण के लिए जनवरी 2021 में एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ डील की। इस साझेदारी के तहत सीरम को भारत और विश्व स्तर पर भारी मांग को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर वैक्सीन का कोविशील्ड के नाम से उत्पादन करने की अनुमति मिली। कोविशील्ड बनने के बाद भारत में इसके वितरण को भारत सरकार और राज्य सरकारों के सहयोग से सुविधाजनक बनाया गया और लोगों तक टीका पहुंचाया गया।
भारत में 2022 तक दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में कोविशील्ड की 1.7 अरब से अधिक खुराकें दी गईं। एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के सरल भंडारण और व्यापक उपलब्धता ने भारत और दुनियाभर में टीकाकरण अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत में बड़ी तादाद में आम लोगों तक वैक्सीन पहुंचाई गई।
फरवरी में यूके की एक अदालत में जमा किए गए दस्तावेजों में एस्ट्राजेनेका कंपनी ने कहा कि इसके इस्तेमाल से थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ थ्रोम्बोसिस नामक एक दुर्लभ दुष्प्रभाव हो सकता है। कंपनी ने कहा है कि वैक्सीन कुछ मामलों में टीटीएस का कारण बन सकती है। दस्तावेज में साथ ही कहा गया है कि टीकाकरण ना होने पर भी टीटीएस हो सकता है। कैम्ब्रिज मुख्यालय वाली ब्रिटिश-स्वीडिश बहुराष्ट्रीय फार्मास्युटिकल और बायोटेक्नोलॉजी कंपनी अब एक क्लास-एक्शन मुकदमे का सामना कर रही है, जिसमें दावा किया गया है कि ये वैक्सीन कई मौतों की वजह बनी है।

लक्षण और स्थिति.

थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ थ्रोम्बोसिस एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है, जो वैक्सीन से जुड़ी है। विशेष रूप से एडेनोवायरस वेक्टर टीके जैसे कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन और जॉनसन एंड जॉनसन के जैनसेन वैक्सीन। टीटीएस की स्थिति में कम प्लेटलेट स्तर होने के साथ रक्त के थक्कों का बनना शामिल है। यह स्थिति आमतौर पर मस्तिष्क या पेट में रक्त के थक्कों के साथ-साथ कम प्लेटलेट काउंट के साथ प्रकट होती है। टीटीएस के लक्षणों में गंभीर सिरदर्द, धुंधली दृष्टि, बोलने में कठिनाई, सीने में दर्द, पेट में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और पैर में सूजन आदि शामिल हैं। ऐसा माना जाता है कि टीटीएस होने की वजह टीकों में प्रयुक्त एडेनोवायरस वेक्टर से बनी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया है, जो प्लेटलेट्स को सक्रिय करता है और रक्त के थक्के बनाता है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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