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यहाँ दम तोड़ रही विकसित भारत संकल्प यात्रा,नाम के नेता नही दिला पाए इस समस्या से निजात

 

 

 

सांसद विधायक नही दे पाए इस गांव को सुविधा जनक रोड

अरसों से बदहाली से जूझ रहा यह गाँव

आवागमन में गड्ढो पर वाहन झूलते शरीर तोड़ गड्ढे

सड़कके कारण कई छात्रों का भविष्य अधर में

रेलवे की उदासीनता का खामियाजा भोग रहे ग्रामीण

शहडोल।।
विनय मिश्रा….

कहने को सड़क,बिजली,पानी,शिक्षा,चिकित्सा,नौकरी जैसे बुनियादी सुविधाओं पर एक विकास का ढाँचा तैयार होता है यानि इसमे से अगर सभी मानव विकास सूचकांक के पहलू पूर्ण हो जाते हैं तो सिर्फ एक समाज और नगर ही नही बल्कि सम्पूर्ण देश विवासशील की बजाय विकसित हो जाएगा और तब हम गर्व से कह सकते हैं कि “विकसित भारत संकल्प यात्रा” पूर्ण हो गया।सिर्फ गली-गली चोंगा और पार्टी का झण्डा लगाने से विकास यात्रा तय नही होता विकास के लिए जरूरी है की जनता द्वारा चुने हुए लोकतंत्र के वो प्रहरी समाज उत्थान में अपनी सहभागिता निभाएँ जिन्हें जनता ने विकास का भविष्य मानकर उन्हें अपना बहुमूल्य मत दिया था।

सांसद-विधायक नही दे पाए सड़क

बुढ़ार से विक्रमपुर मार्ग से दर्जन से ऊपर गांवो का न सिर्फ विकास जुड़ा है बल्कि समाज की रीढ़ कही जाने वाली अर्थव्यवस्था जुड़ी हुई है इस क्षेत्र से लगे दर्जन से ऊपर गांवो में भाजपा के कोर मतदाता हैं जो भाजपा को वोट देने के साँथ-साँथ उनके लिए समर्पित रहते हैं किंतु 3 बार विधायक रह चुके जयसिंह और दो बार सांसद रह चुकी हिमाद्री सिंह भी इस रोड और गांव का कायाकल्प नही कर पाए रोजाना बुढ़ार में पढ़ने वाले स्कूली व कालजे के छात्र-छत्राएँ बरसात में बाधित इस सड़क के कारण अपने शिक्षा स्तर को ऊपर नही उठा पा रहे हैं।

रेलवे की उदासीनता के शिकार ग्रामीण व राहगीर

बुढ़ार-विक्रमपुर मार्ग में रेलवे पुल ग्रामीणों के लिए एक तालाब तो है ही बल्कि इस सड़क में आने जाने वाले हर ग्रामीण समेत आम नागरिकों के लिए एक जानलेवा सड़क है जिसे लोग जोखिम उठाकर आते-जाते हैं।लोगो को इस बात का भ्रम है कि सड़क का बाधक नगर पंचायत है जबकि सड़क सिर्फ नगर पंचायत की सीमा में है पर भूमि रेलवे का है रेलवे के कारण ग्रामीणों का न सिर्फ विकास रुका है बल्कि गावं से शहरीकरण हो रहे गाँव में इस गांव का नाम आज भी पीछे रह जाता है अगर रेलवे सार्वजनिक हित देखे और अपनी भूमि को सड़क के लिए आवंटित कर दे तो वह दिन दूर नही होगा जब बुढ़ार-विक्रमपुर से जुड़े कई गाँव व ग्रामीणों का उत्थान हो जाएगा और रोजाना गड्ढे पर शरीर तोड़ हिचकोलों से निजात भी मिल जाएगा।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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