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सरकारों की आलोचना करने पर पत्रकारों पर अपराध दर्ज करना कुतर्क:सुप्रीम कोर्ट

 

 

 

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

बीते कुछ वर्षों में सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों को या तो मीडिया संस्थान छोड़ना पड़ा या फिर उन्हें जेल भेजा गया आलोचक पत्रकारों की सूची खंगाली जाए तो ज्ञात हो जाएगा कि आज कितने पत्रकार यू टयूब के मंच पर संविधान में दी गई मानव अभिव्यक्ति के कारण बोल पा रहे हैं यूट्यूब पर भी सरकार ने शिकंजा कसा और कुछ पत्रकरो के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया की गई ।
जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है और कहा कि सरकार की आलोचना करने वाले लेख लिखने के लिए पत्रकारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं होना चाहिए। जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ विचारों की सम्पूर्ण स्वतंत्रता का है….
जस्टिस ऋषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की ओर से दाखिल याचिका पर उप्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए यह टिप्पणी की है। उपाध्याय ने याचिका में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमा को रद्द करने की मांग की है। उन्होंने याचिका में कहा है कि उत्तर प्रदेश में सामान्य प्रशासन की जाति गतिशीलता को लेकर एक समाचार रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके खिलाफ एफआईआर की है, इसलिए इसे रद्द किया जाना चाहिए। जस्टिस रॉय ने कहा कि ‘पत्रकारों के खिलाफ महज इसलिए आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं किए जाने चाहिए क्योंकि उनके लेखों को सरकार की आलोचना के रूप में देखा जाता है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देशों में, अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है। साथ ही कहा कि पत्रकारों के अधिकारों को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत संरक्षित किया जाता है।
पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। साथ ही, तब तक संबंधित लेख के संबंध में याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्यवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई 4 सप्ताह बाद होनी है । शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता एक पत्रकार है और उसने राज्य में जिम्मेदार पदों पर तैनात अधिकारियों पर ‘जातिवादी झुकाव वाला एक लेख प्रकाशित किया। पीठ ने कहा कि लेख के बाद, उसके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने एफआईआर की सामग्री को पढ़कर कहा कि उक्त एफआईआर से कोई अपराध नहीं बनता है। फिर भी याचिकाकर्ता पर अपराध दर्ज कर आरोपी बनाया गया जो सरासर गलत है और प्रशासन के एकपक्षीय कार्यवाई को दर्शाता है। आपको बता दें कि आर्टिकल एक्स ( ट्विटर) पर पोस्ट की गई थी, इसलिए इसके परिणामस्वरूप कई अन्य एफआईआर हो सकती हैं। याचिकाकर्ता अभिषेक उपाध्याय ने याचिका में कहा है कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करना राज्य की कानून प्रवर्तन मशीनरी का दुरुपयोग करके उनकी आवाज को दबाने दबाने का एक स्पष्ट प्रयास है। उपाध्याय की ओर से अधिवक्ता अनूप प्रकाश अवस्थी ने याचिका में कहा है कि उनके मुवक्किल द्वारा ‘यादव राज बनाम ठाकुर राज शीर्षक से एक स्टोरी किए जाने के बाद 20 सितंबर को लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ से कहा कि याचिका दाखिल किए जाने के कारण यूपी पुलिस के आधिकारिक एक्स हैंडल द्वारा कानूनी कार्रवाई की धमकी है और याचिकाकर्ता को यह जानकारी नहीं है कि इस मुद्दे पर उप्र या उससे परे अन्य कितनी एफआईआर दर्ज हैं।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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