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कानूनी गुत्थी बनकर रह गई आशीष की मौत,नही मिला उसके गुनहगारों को सजा

कानूनी की गुत्थी बनकर रह गई आशीष की मौत,नही मिला उसके गुनहगारों को सजा
पुलिस और रेलवे पुलिस के भंवर जाल में फँसी जाँच

बुढ़ार।।
बुढ़ार निवासी व कियोस्क संचालक आशीष त्रिपाठी नामक युवक बीते 8 अक्टूबर को दो बैंक कर्मियों की प्रताड़ना से तंग आकर रेलवे ट्रैक में अपनी जान दे दी उक्त घटना को हुए महीनों बीत रहे हैं किन्तु पुलिस और रेलवे पुलिस अब तक कोई सुराग नही ढूँढ पाई मामले में राजनैतिक सक्रियता भी इस कड़कड़ाती ठण्ड में ठण्ड पड़ गई है स्थानीय नागरिकों ने भी अब मामले को बेपर्दा होने की अपनी मंशा खत्म कर दी है हमने जानकारी जुटाई तो पता चला रेलवे पुलिस तीन दिन पहले मृतक के परिवार से मिली है और उन्हें एफआईआर करने का आश्वासन दिया है किंतु तीन दिन बीत जाने के बाद भी आशीष की मौत की गुत्थी नही सुलझी।परिजन रेलवे पुलिस से आश लगाए बैठी है कि शायद उनके मृतक पुत्र को इंसाफ मिल जाए । हम भी इसी आशा से समाचार प्रकाशित कर रहे हैं कि एक परिवार को न्याय मिल जाए और दिवंगत आत्मा को शांति और समाज के लिए एक सबक की ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

यह है पूरी घटना….

फरियादी आनन्द त्रिपाठी मृतक का बड़ा भाई है उन्होंने एसडीएम व थाना प्रभारी बुढ़ार को ज्ञापन देते हुए लिखा है कि आज से दो दिन पूर्व शुक्रवार दिनांक 08/11/2024 को मेरा भाई कियोस्क संचालक मृतक आशीष त्रिपाठी बुढार रेल्वे स्टेशन में चंदिया चिरमिरी पैसेंजर ट्रेन के सामनें कूदकर आत्महत्या कर ली थी।
मृतक नें आत्महत्या के पूर्व अपनें मोबाइल क्रमांक 9713600355 पर What’s up स्टेटस डालकर इस बात का उल्लेख किया था कि उसे यूनियन बैंक ऑफ इंडिया बुढार शाखा के कर्मचारी अमित सिंह (फील्ड ऑफिसर), शिवम शाह सहित मरजाद के रहनें वाले अजय सिंह नामक व्यक्तियों द्वारा 11 लाख 80 हजार रुपये की रिकवरी निकालकर वसूली का दबाव बनाया जा रहा था। जिससे मृतक मानसिक रुप से काफी प्रताडित था और परेशान था, जिनकी प्रताड़ना से तंग आकर उसे इस तरह का आत्माघाती कदम उठानें पर विवश होना पड़ा। महोदय यह आत्महत्या नहीं बल्कि एक हत्या है जिसकी निष्पक्ष जांच होनी
चाहिये व उक्त संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जानी चाहिये।

इनका कहना है…

हमने तीन दिन पहले मृतक के परिजनों से बयान लिया है जल्द ही संदेहियों का बयान भी लिया जाएगा अभी विवेचना करने वाले स्टाफ भी बाहर गए हुए हैं इसलिए उनका बयान बाँकी है(आर एम झारिया एसआई जीआरपी)

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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