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यातायात व्यवस्था के लिए चुनौती बने नगर के प्रदर्शनी

 

कोलाहलो के बीच हो रही छात्रों के आगामी एक्जाम की तैयारी

कोयलांचल।।

कोयलांचल क्षेत्र में महीने दो महीने में किसी न किसी मैदान में प्रदर्शनी,ट्रेड मेला,मेगा फेयर जैसे दुकानों का आना-जाना बना रहता है जिसका हिसाब किताब न नगर निकाय द्वारा लिया जाता है न ही सम्बंधित अन्य जिम्मेदारों द्वारा इन मेलो से शहर की फिजा शाम को भले ही डेकोरेशन से सुशोभित होती है पर सुबह होते ही यहाँ गन्दगी का अंबार लगा रहता है।
बीते कुछ वर्षों से तहसील प्रांगण मेला व्यवसाईयों का एक गढ़ बना हुआ है जिसके लिए नियम कायदों को तिलांजलि देकर सम्बंधित भू स्वामी किराया लेकर उसे शहर के तमाम कायदों को रौंदने की छूट दे देता है।

होती है गन्दगी प्रदूषण का एनओसी नही न ही ध्वनि प्रदूषण के पुख्ता इंतेजाम…

मेला में लगने वाले ठेलों चाट-फुल्की,समोसा बर्गर,चाउमीन जैसे खाद्य पदार्थों के वेस्टेज कचरा संरक्षण नही किया जाता इसके लिए न ही नगरपालिका की कोई मंजूरी होती है और न ही शहर में गन्दगी परोसने के नाम पर प्रदूषण विभाग की कोई अनापत्ति।
इस तरह आसपास बिखरे सूखे गले कचरे से न सिर्फ गन्दगी फैलती है बल्कि इस गन्दगी से लगे बैक्टीरिया-वायरस रोगजनित लोगो को मेला समेत रोग का उपहार प्रदान करते हैं।
आपको बता दूं कि हाल ही में आयोजित होने वाले मप्र बोर्ड एक्जाम की डेट निर्धारित हो चुकी है और दिसम्बर माह अपने अंतिम पड़ाव पर होने के साँथ सिलेबस के आधे अध्यायों का समापन भी होना है मेला में बजने वाले दिन-रात टेप बॉक्स,साउंड सर्विस न सिर्फ आमजनों के कानों में पीड़ा पहुंचाते हैं बल्कि शाम के समय अध्ययन करने वाले छात्रों के मन मे भी कोलाहल पैदा करते हैं जिससे उन्हें किसी भी अध्याय को स्मरण करने में असुविधा होती है।

फूटपाथ और मुख्यमार्ग बना पार्किंग व्यवस्था यातायात चालान काटने में मस्त…

तहसील प्रांगण की 5 एकड़ से ऊपर की भूमि भले ही आज निजी भूस्वामियों के हांथो में है पर यहाँ बाहर से व्यवसाय करने आने वाले व्यापारी भी इससे अछूते नही है कालेज तिराहा में लगे मेला से न सिर्फ मार्ग अवरुद्ध होता है बल्कि फूटपाथ पर चलने वाले सड़को पर वाहनों का जमावड़ा शाम होते ही लग जाता है जिस पर न तो यातायात अमला ध्यान देता है न स्थानीय पुलिस।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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