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हड्डियां चबाया भूतों को महसूस किया,जानिए कौन है यह “IIT”बाबा

डेस्क. …

“बाबा”शब्द सुनते ही पिता परमेश्वर की ओर नसों की रक्त दौड़ने लगती हैं।हम अपने जीवन मे दो बाबाओं को जानते हैं एक वह जो हमारे पिता के पिता हैं दूसरा वह जो जगत पिता हैं फिर त्रिकालदर्शी भोले बाबा हों या फिर जिन्होंने सांसारिक सुखों को त्याग कर वैराग्य धारण कर लिया है।
प्रयागराज में चल रहे 45 दिनों के महाकुंभ पर्व में कई साधु-संतों,बाबाओं और साध्वियों का आगमन हुआ है कुछ के रील और इंटवरव्यू सोशल मीडिया में भी खूब वायरल हो रहे हैं पर सबसे अनोखे बाबा या वायरल बाबा अभय सिंह आकर्षणानंद बाबा माने जा रहे हैं।कैसे एक “IIT” एयरो स्पेस इंजीनियर की नौकरी और करोड़ों रुपये की शानो शोहरत को छोंड़कर अभय सिंह वैराग्य धारण कर लिए।
इंजीनियर बाबा के नाम से इंटरनेट पर वायरल हो रहे अभय सिंह का दावा है कि वे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे IIT-B के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने वहां से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में B-tech किया है। अभय सिंह मूल रूप से हरियाणा झज्जर हैं उनके पिता कर्ण सिंह पेशे से एक वकील हैं। उन्होंने अपने अनोखे अंदाज से महाकुंभ में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है।जूना अखाड़े से जुड़े अभय सिंह चित्र और आरेखों की मदद से जटिल आध्यातिमक अवधारणाओं को सरल तरीके से श्रद्धालुओं को समझाते हैं।उनका कहना है मैं “शून्य” हूँ जीवन सिवाय अध्यात्म के कुछ नही है।उन्होंने बताया कि आईआईटी से जब में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कर रहा था तो मुझे लगता था कि यही सब कुछ है। बाद में जब मैं अध्यात्म की ओर अग्रसर हुआ तो अब मुझे लगता है कि असली साइंस या जीवन यही है।
डिजाइनिंग और फोटोग्राफी करने वाले इस बाबा के ने कई ग्रन्थों और दार्शनिकों को पढा है और जीवन को समझने की कोशिश की अध्यात्म को ओर लगातार अग्रसर होने के कारण उनका घरेलू जीवन से मन ऊबने लगा कनाडा में लाखों की नौकरी त्यागकर, बाबा अध्यात्म से जुड़ गए।उनका मानना है कि अध्यात्म वह सार है जो भारत के संपूर्ण सांस्कृतिक विरासत और धरोहर को समाहित करता है।
जीवन नश्वर है ,शरीर कपड़ा है जिसका कोई मोल नही है तमाम ऐसी बातों को व्यक्त करते वायरल बाबा अभय सिंह बताते हैं कि माता-पिता को कभी अपने बच्चों पर मर्जी नही थोपनी चाहिए आज कोटा में कई सुसाइड केस इसके उदाहरण हैं।बाबा अभय सिंह भी विरक्ति पर जाना चाहते थे माता-पिता की हठ के कारण कुछ दिनों तक गृहस्थ जीवन जरूर जिया किन्तु बाद में उन्होंने वैराग्य धारण कर लिया।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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