दिव्यकीर्ति सम्पादक-दीपक पाण्डेय, समाचार सम्पादक-विनय मिश्रा, मप्र के सभी जिलों में सम्वाददाता की आवश्यकता है। हमसे जुडने के लिए सम्पर्क करें….. नम्बर-7000181525,7000189640 या लाग इन करें www.divyakirti.com ,
Search
Close this search box.

दिन के बढ़ते तापमान ने बिगाड़ा स्कूली छात्रों का दम..

 

 

Oplus_16908288

 

झुलसते धूप और गर्मी से नन्हे छात्रों को कब मिलेगी राहत…?
बढ़ते तापमान और स्कूल के समय ने बिगाड़ा दम…

विद्यालय प्रबधंक व शिक्षा विभाग दे ध्यान..

शहडोल।।
निजी विद्यालयों की अपनी एक मनमानी है जिसका कोई अंत नही है,चाहे बात विद्यालय के पुस्तक सामग्रियों की हो या फिर उनके द्वारा बाहर तय किए कमीशन की दुकानें हो । हर निजी विद्यालयों ने अपने यहाँ लग रहे ड्रेस,किताबें, जूते यहॉं तक कि अन्य स्कूली सामानों की पहुँच भी विद्यालय द्वारा तय किए दुकानों में मिलती है जिसकी मासिक कमीशन विद्यालय प्रबन्धको को उपहार स्वरूप मिलता है।इसी मनमानी का एक सबब इन दिनों बढ़ती गर्मी व चिलचिलाती धूप में बच्चों के विद्यालय आने-जाने का समय बना हुआ है जहाँ40 डिग्री तापमान और खरी दोपहरी में छात्रों के घर पहुँचते ही उनके मुरझाए चेहरे व शरीर किसी काम के लायक नही रहते।

हर विद्यालयो की अपनी समय-सीमा और छात्रों का शरीर झुलसाता गर्मी ….

जिले के अधिकांश स्कूल मप्र शिक्षा विभाग के समयानुसार चालू हैं लाजिम है कि अप्रैल सत्र सरकार द्वारा हर वर्ष ही शिक्षा सत्र के रूप में संचालित होता है किंतु इस सत्र और विद्यालयों की भरपाई अभिभावक और उनके बच्चे झेल रहे हैं।माह अभी अपने पाक्षिक चरण से ऊपर है और तापमान अपने पूरे शबाब पर है जहाँ 40 या उससे ऊपर बढ़ता पारा दिन के वक्त शरीर जलाती धूप अभी से सहन से बाहर है हलाकि इस कड़ी में प्रौढ़ छात्र तब भी इस गर्मी की मार झेल सकते हैं किंतु छोटे-छोटे बच्चे यानी प्राथमिक कक्षा से लेकर पांचवीं तक के बच्चे इस शरीर जलाती गर्मी की मार झेलने में असमर्थ लग रहे हैं हमारे पास कई अभिभावकों ने शिकायत किया कि धूप तेज हो रही है और बच्चो के विद्यालय आने का समय लगभग मध्य दोपहर तक हो जाता है जिससे विद्यालय से आने के बाद गर्मी की थकान से नहाना और ढंग से भोजन तक नही कर पाते।

क्या शिक्षा विभाग देगा ध्यान…?

हमने बीते कुछ दिनों शिक्षा माफिया पर सवाल उठाते हुए निजी विद्यालयों की शिक्षा प्रबंधन और उनके बाजारीकरण पर बात किया था जिस ओर शिक्षा विभाग ने ध्यान दिया पर शिक्षा के उच्च पदों पर बैठे लोगों को एक बात पर गौर फरमान पड़ेगा जहाँ चिलचिलाती धूप में नन्हे-मुन्ने बच्चे विद्यालय से घर की ओर लौटते हैं कुछ बच्चे इसे तब भी बर्दाश्त कर जाते हैं किंतु अधिकांश बच्चे विद्यालय से आने के बाद न तो नहा पाते हैं और न ही तुरन्त भोजन कर पाते हैं ऐसे में बढ़ती गर्मी और धूप के कारण डिहाइड्रेशन से लेकर तमाम तरह की बीमारियां इस गर्मी में जन्म लेंगी और नन्हे- मुन्ने बच्चे इसकी चपेट में न आएं ऐसा तो सम्भव नही है।

पुस्तक मेला रही औपचारिक..

आपको बता दें बीते कुछ दिन पहले जिला शिक्षा प्रशासन ने शहडोल जिले के पालीटेक्निक ग्राउंड में स्कूली छात्रों को महँगी किताबों से निजात पाने के लिए पुस्तक मेला का आयोजन किया था किंतु वह भी किसी औपचारिकता की तरह ही रहा।

पॉलिटेक्निक कॉलेज में जिला प्रशासन ने पुस्तक मेले का आयोजन किया था जिसमें छात्रों के पढ़ने की किताबो को शामिल न करके मनोरंजन युक्त किताबों का सजावट था जिसमें उपन्यास, गीत-संगीत व चाणक्य नीति पुस्तकों को सजाकर रखा गया जिससे मेला आए हुए अभिभावकों का हताश चेहरा यह बता रहा था कि उन्हें गत वर्ष की भाँति इस बार भी महँगी किताबें ही खरीदनी पड़ेगी।पुस्तक मेला स्थल पर पाठ्यक्रम पुस्तकें न मिलने पर अभिभावकों को यह मेला किसी औपचारिकता से कम नही लगा।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

ये भी पढ़ें...

error: Content is protected !!