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52 नाबालिग दुल्हनों के जन्मे 53 कुपोषित बच्चे 😔 — 10 नवजात 30 दिन भी न जी सके, 6 महीने में 75 बाल विवाह के मामले उजागर

बाल विवाह बना स्वास्थ्य संकट —

नाबालिग माताओं से जन्मे अधिकांश बच्चे कुपोषण की चपेट में;

प्रशासन के आंकड़े चौंकाने वाले

बाल विवाह जैसी कुप्रथा अब एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बनती जा रही है। हालिया आंकड़ों ने यह स्थिति और चिंताजनक बना दी है। सिर्फ छह महीनों में 75 नाबालिग दुल्हनें मां बन चुकी हैं, जिनसे जन्मे 53 बच्चों में कुपोषण के लक्षण पाए गए। इनमें से 10 बच्चे जन्म के 30 दिन भी नहीं जी पाए।

महिला एवं बाल विकास विभाग की रिपोर्ट बताती है कि इनमें से अधिकांश शादियां ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में हुईं। जहां गरीबी, शिक्षा की कमी और सामाजिक दबाव के चलते बाल विवाह आम बात है। इन नाबालिग माताओं की उम्र 14 से 17 वर्ष के बीच पाई गई है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नाबालिग लड़कियों का शरीर गर्भधारण के लिए तैयार नहीं होता, जिससे नवजातों में कमी वजन, सांस की तकलीफ और संक्रमण जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। कई मामलों में प्रसव के दौरान मां और बच्चे दोनों की जान पर खतरा मंडराया।

चिकित्सकों का कहना है कि नाबालिग माताओं में रक्त की कमी (एनीमिया) और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण बच्चों का कुपोषित होना तय है। “बाल विवाह केवल सामाजिक नहीं, बल्कि स्वास्थ्य आपदा है,” विशेषज्ञों ने चेताया।

वहीं, चाइल्ड मैरिज प्रिवेंशन एक्ट के बावजूद मामलों में कमी नहीं आ रही। कई जिलों में बाल विवाह रोकथाम समितियों की बैठकें सिर्फ कागजों पर सीमित हैं। ग्रामीण इलाकों में जागरूकता की भारी कमी है।

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, इन छह महीनों में दर्ज 75 में से 52 मामले ऐसे थे, जिनमें दुल्हनों की उम्र 17 साल से कम थी। अधिकारियों ने बताया कि अब जिला प्रशासन ने कुपोषण और बाल विवाह पर संयुक्त कार्रवाई योजना शुरू की है, जिसमें आंगनबाड़ी, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस मिलकर निगरानी करेंगे।


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Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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