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बुढ़ार अस्पताल का ‘स्वास्थ्य तंत्र’ बीमार!

 

सरकारी दवाइयाँ बाहर के मेडिकल में, डॉक्टर ड्यूटी छोड़ निजी क्लीनिकों में — मरीज बेहाल, विभाग खामोश

शहडोल।।बुढ़ार
मध्यप्रदेश सरकार जहां “स्वस्थ प्रदेश, समृद्ध प्रदेश” के नारे लगा रही है, वहीं जमीनी हकीकत इस नारे का मज़ाक उड़ा रही है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बुढ़ार अब “स्वास्थ्य सेवा” नहीं, बल्कि “स्वार्थ सेवा” का केंद्र बन गया है।
डॉक्टरों की अपनी निजी क्लीनिक और शासकीय अस्पताल में मौजूद आने जाने वाले मरीज इस व्यवस्था से बीमार हैं उन्हें अन्य बीमारी की इलाज शायद इस अस्पताल से नही मिल सकती।
अस्पताल में पदस्थ डाक्टरों की निजी क्लीनिक तो कहीं ओपीडी के दरवाजे बंद होना, कहीं सरकारी बंगले पर निजी क्लिनिक का कब्जा व शासकीय उपकरणो का प्रयोग,सरकारी अस्पताल में सारी व्यवस्था होने के बाद भी बाहर उपस्थित मेडिकल स्टोरों और पैथालॉजी में मरीजों की एक लंबी कतार इस व्यवस्था का मजाक उड़ा रही है। डाक्टरों के अस्पताल में समय पर मौजूद न होने से मजबूरीबस मरीज इन्ही डॉक्टरों के क्लीनिक में पैसे देकर इलाज करा रहे हैं जिम्मेदार पद पर बैठे सीएमएचओ इस व्यवस्था को देखने के बाद भी धृतराष्ट्र बने बैठे हैं।
सूत्र बताते हैं कि यहाँ पदस्थ आउटसोर्सिंग कमर्चारियों से लेनदेन से लेकर नर्सों की छुट्टी का खेल भी खेला जा रहा है।
अस्पताल में पदस्थ कई डॉक्टर ड्यूटी के दौरान मात्र औपचारिक उपस्थिति दर्ज करते हैं और उसके बाद अपने निजी क्लीनिकों में मरीज देखते हैं। वहीं, अस्पताल में आने वाले मरीजों को बाहर के अलग-अलग मेडिकल स्टोरों से दवाईयों की एक लंबी लिस्ट पकड़ा दी जाती है”।
मरीज मजबूरी में नजदीकी मेडिकल स्टोर्स से वही दवाएँ खरीदते हैं, जो सरकार द्वारा मुफ्त वितरण के लिए भेजी जाती हैं।
सूत्रों के अनुसार सरकारी सुविधाओं को पैसों और कमीशन की भेंट पर बाहर दिया जा रहा है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है —

“सरकारी डॉक्टर क्लीनिक में पैसे से इलाज करते हैं, अस्पताल में मरीज भगवान भरोसे हैं।”
सूत्र बताते हैं कि विभागीय अफसर सब जानते हुए भी कार्रवाई से बचते हैं। वजह — अंदरखाने ‘सेटिंग’ और ‘साझेदारी’ का खेल।

अब स्थानीय नगरवासियों और कुर्सी पर बैठे लोगों से सवाल..
👉 सरकारी अस्पताल डॉक्टरों की ड्यूटी है या उनकी गैरहाजिरी का ठिकाना?
👉 क्या सरकार जनता के स्वास्थ्य से ज्यादा, भ्रष्टाचार के ‘स्वास्थ्य’ की चिंता कर रही है?

बुढ़ार अस्पताल की हकीकत ने एक बार फिर दिखा दिया है — सिस्टम नहीं टूटा, सिस्टम बिक गया है।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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