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छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: भूपेश बघेल की पूर्व उपसचिव सौम्या चौरसिया गिरफ्तार, 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव रह चुकीं सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार कर लिया है। शुक्रवार को उन्हें विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां कोर्ट ने सौम्या को 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने का आदेश दिया। ईडी ने उन्हें 16 दिसंबर को गिरफ्तार किया था और पूछताछ के लिए तीन दिन की रिमांड पर लिया गया था। जांच एजेंसी का दावा है कि सौम्या चौरसिया शराब सिंडिकेट की सक्रिय सदस्य थीं और इस घोटाले के जरिए उन्होंने करीब 115.5 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की।


गिरफ्तारी के बाद कोर्ट में पेशी

ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद सौम्या चौरसिया को तीन दिन की रिमांड पर रखा गया था। इस दौरान एजेंसी ने उनसे शराब घोटाले से जुड़े नेटवर्क, पैसों के लेन-देन और सरकारी तंत्र में उनकी भूमिका को लेकर पूछताछ की। रिमांड अवधि पूरी होने के बाद शुक्रवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। अदालत ने ईडी की दलीलों और उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।


115.5 करोड़ रुपये की अवैध कमाई का आरोप

ईडी की जांच में यह खुलासा हुआ है कि सौम्या चौरसिया को शराब घोटाले के जरिए लगभग 115.5 करोड़ रुपये की अवैध राशि प्राप्त हुई। एजेंसी के मुताबिक, यह रकम विभिन्न माध्यमों से इकट्ठा की गई और बाद में मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए इसे खपाया गया। ईडी का कहना है कि डिजिटल साक्ष्य, जब्त दस्तावेज और गवाहों के लिखित बयान इस बात की पुष्टि करते हैं कि सौम्या इस पूरे नेटवर्क का अहम हिस्सा थीं।


शराब सिंडिकेट में निभा रही थीं अहम भूमिका

ईडी के अनुसार, सौम्या चौरसिया केवल एक प्रशासनिक अधिकारी नहीं थीं, बल्कि शराब सिंडिकेट की सक्रिय सदस्य के रूप में काम कर रही थीं। जांच में सामने आया है कि वे इस अवैध नेटवर्क में मुख्य समन्वयक की भूमिका निभा रही थीं। एजेंसी का दावा है कि सौम्या सिंडिकेट के प्रमुख सदस्यों के बीच संपर्क का काम करती थीं और अवैध धन के सृजन से लेकर उसके वितरण और मनी लॉन्ड्रिंग तक में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।


अनिल टुटेजा और चैतन्य बघेल से जुड़े तार

ईडी की जांच में यह भी सामने आया है कि सौम्या चौरसिया शराब सिंडिकेट के प्रमुख चेहरों अनिल टुटेजा और चैतन्य बघेल के बीच बिचौलिया बनकर काम कर रही थीं। डिजिटल चैट्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सबूत इस बात की ओर इशारा करते हैं कि वे इन दोनों के साथ नियमित संपर्क में थीं और घोटाले से जुड़े अहम फैसलों में उनकी भूमिका रही। एजेंसी का कहना है कि सौम्या अवैध धन के प्रवाह को नियंत्रित करने और सिस्टम के भीतर संतुलन बनाए रखने का काम कर रही थीं।


आबकारी विभाग में पोस्टिंग में भी दखल

जांच के दौरान यह खुलासा भी हुआ है कि सौम्या चौरसिया ने आबकारी विभाग में अहम पदों पर नियुक्तियों में भी भूमिका निभाई। बरामद चैट्स से यह बात सामने आई है कि उन्होंने अरुण पति त्रिपाठी और निलंबित आईएएस निरंजन दास को आबकारी विभाग में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दिलाने में मदद की। ईडी का दावा है कि इन नियुक्तियों के जरिए शराब सिंडिकेट को प्रशासनिक संरक्षण मिला और अवैध गतिविधियों को सुचारु रूप से अंजाम दिया गया।


शराब सिंडिकेट की शुरुआती संरचना तैयार करने का आरोप

ईडी के अनुसार, सौम्या चौरसिया ने शराब सिंडिकेट की शुरुआती संरचना तैयार करने में भी सक्रिय भूमिका निभाई। जांच में यह बात सामने आई है कि उन्होंने पूरे नेटवर्क की रूपरेखा तय करने, जिम्मेदारियों के बंटवारे और अधिकारियों के साथ तालमेल बैठाने में अहम योगदान दिया। इसी वजह से यह सिंडिकेट लंबे समय तक बिना किसी बड़ी बाधा के काम करता रहा और राज्य सरकार को भारी राजस्व नुकसान उठाना पड़ा।


निरंजन दास की भी गिरफ्तारी

सौम्या चौरसिया से पूछताछ के बाद ईडी ने ईओडब्ल्यू के केस में पहले से बंद निलंबित आईएएस अधिकारी और पूर्व आबकारी आयुक्त निरंजन दास को भी गिरफ्तार कर लिया है। एजेंसी का मानना है कि निरंजन दास इस पूरे घोटाले में प्रशासनिक स्तर पर अहम भूमिका निभा रहे थे। फिलहाल ईडी उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ कर रही है ताकि पूरे नेटवर्क की परतें खोली जा सकें।


2500 करोड़ रुपये से अधिक का शराब घोटाला

ईडी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की जांच एसीबी और ईओडब्ल्यू रायपुर द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू की गई थी। जांच में सामने आया है कि इस घोटाले के कारण राज्य सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ। एजेंसी का दावा है कि शराब घोटाले से 2500 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध आय उत्पन्न हुई, जिसे विभिन्न तरीकों से खपाया गया।


अब तक कई बड़े नाम गिरफ्तार

इस मामले में अब तक कई बड़े नामों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, कारोबारी अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनवर ढेबर, आईएएस अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी, विधायक और तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा और पूर्व मुख्यमंत्री के पुत्र चैतन्य बघेल शामिल हैं। एजेंसियों का कहना है कि यह सभी लोग किसी न किसी रूप में शराब सिंडिकेट से जुड़े हुए थे।


कई घोटालों की एक साथ जांच

ईडी और ईओडब्ल्यू केवल शराब घोटाले तक सीमित नहीं हैं। एजेंसियां 4364 करोड़ रुपये से जुड़े विभिन्न मामलों की जांच कर रही हैं। इसमें 500 करोड़ रुपये के अवैध कोल लेवी केस में ईडी की गिरफ्तारी, 540 करोड़ रुपये के कोल लेवी केस में ईओडब्ल्यू की कार्रवाई, 575 करोड़ रुपये के डीएमएफ घोटाले और 49 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति के मामले शामिल हैं। इसके अलावा 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में भी ईडी लगातार नई गिरफ्तारियां कर रही है।


आगे और बढ़ सकती है कार्रवाई

ईडी का कहना है कि जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं। एजेंसी के अनुसार, डिजिटल साक्ष्यों और वित्तीय लेन-देन की गहन जांच की जा रही है। ऐसे में छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में और गिरफ्तारियों की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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