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एक बत्ती के आसरे पुलिस घूम रही गाड़ी में दूसरी बत्ती गुल

एक बत्ती के आसरे पुलिस घूम रही गाड़ी में दूसरी बत्ती गुल

आम आदमी को कानून की नसीहत, खुद के लिए कौन..

यातायात से उपजे हादसे और विवाद

शहडोल।।

 

शहडोल जिले की ट्रैफिक व्यवस्था तो सिर्फ आम राहगीरों के लिए है इस कतार में जैसे ही बड़े जयचंद आते हैं कायदे ही बदल जाते हैं आम राहगीरों को सीट बेल्ट से लेकर हेलमेट पहनने का ऐसा प्रावधान है कि बिना चालान के काम नही हो सकता और यदा-कदा सीट बेल्ट और हेलमेट सही हुए तो फिर लाइट और इंडिकेटर तक का हिसाब लिया जाता है किंतु यह कायदे क्या सिर्फ आम आदमी के लिए है या फिर यह कानून व्यवस्था कानून के रखवालो के लिए भी उतना ही लागू होता है जितना आम आदमी के लिए

एक बत्ती जलाए घूमती रही थाने की गाड़ी

मामला बीते शनिवार का है जहाँ किसी एक सूचना तंत्र ने खैरहा थाने के वाहन की अधजली बत्ती का फ़ोटो खींच लिया और कानून की पाठशाला और उसमें पढ़ने वाली किताबो का जिक्र होने लगा, लोगों ने मजाक में कहा कि यही गाड़ी आम आदमी का होती तो शायद बिना चालान के नही थमती। खैरहा वाहन की अधजली यह बत्ती बताती है कि कानून सिर्फ आम राहगीरों और इंसानो के लिए है व्यवस्था और व्यवस्था के जिम्मेदारों से इसका दूर-दूर तक कोई सरोकार नही।
जिस अधजली बत्ती से वाहन खैरहा थाने की ओर गुजरी इस बात से अंदेशा लगाया जा सकता है कि गाड़ी तो पुलिस की है और इसे हाँथ देगा भी कौन.?अधजली बत्ती वर्दी की उदासीनता तो दिखाती ही है साँथ में यह बताता है कि कायदे सिर्फ गरीब-मजलूमो के लिए।

जिले की इस यातयात व्यवस्था की विसंगतियों पर अंकुश लगाते-लगाते हाल ही में एक पुलिस आरक्षक की जान चली गई पर व्यवस्थाएँ नही सुधरी इसी यातायात व्यवस्था ने बीती रात शहडोल जिले के ह्रदय स्थल सुट्टा बार में दो गुटों में विवाद निर्मित कर दिया विवाद इस कदर हुआ की पहले कालर, कपड़े पकड़े गए फिर बात लात घूँसों में बदल गई गनीमत है बात सिर्फ यहीं थम गई नही तो छोटी से बात में कब हाँथ-पैर सिर फूट जाए इस बात से इंकार नही किया जा सकता।

 

 

खैर यातायात व्यवस्था की बात करें तो फूटपाथ पर लगी दुकानें और हाइवे पर खड़े अनियंत्रित वाहन बताते हैं कि व्यवस्था इतनी जल्दी नही सुधरेगी व्यवस्था के लिए किसी बड़े हादसे का इंतेजार करना पड़ेगा।

Divya Kirti
Author: Divya Kirti

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